“सूरत लिटरेरी फाउंडेशन” द्वारा स्थापना के पश्चात पहला कार्यक्रम २०-२२- जनवरी, २०२३ में “भारत@२०४७” के नाम से वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय-सूरत (VNSGU) के सभागार में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में देश भर से विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ विद्वान सम्मिलित हुए एवं प्रमुख विषयों पर चर्चा हुई। सूरत में इस प्रकार का पहला साहित्यक आयोजन था।
तीन दिन तक चले इस महोत्सव में उद्घाटन व समापन सहित कुल १३ सत्रों में “विदेश नीति”, “शिक्षा”, “न्यायिक सुधार”, “सिनेमा”, “प्रिंट मीडिया”, “महिला शक्ति”, “विजुअल मीडिया”, “सुशासन”, “टेक्नोलोजी”, “भारतीय अर्थव्यवस्था” एवं “धर्म” जैसे महत्व पूर्ण विषयों पर चर्चा-विमर्श हुआ।
उद्घाटन सत्र में आचार्य महासभा के महासचिव स्वामी श्री परमात्मानंद जी, परम पूज्य स्वामी माधवप्रिय दास जी, श्री यशवंत चौधरी, श्री दिनेश पटेल व गुजरात राज्य के गृहमंत्री श्री हर्ष संघवी उपस्थित रहे व पूज्य संतों ने आशीर्वचन दिए. इसके पश्चात विभिन्न सत्रों में विभिन्न विषयों के विद्वानों, आलोक बंसल, अभिजीत अय्यर मित्रा, डॉ. विजय चौथाईवाले, श्री रंगानाथन जी चिल्कुर बालाजी, डॉ. निरंजन कुमार, प्रफुल्ल केतकर, पूर्व CJI रंजन गोगोई, अश्विनी उपाध्याय, एमआर वेंकटेश,डा चंद्रप्रकाश द्विवेदी, अनंत विजय, उदय माहुरकर, प्रो.राकेश गोस्वामी, एलपी पंत, एस्थर जॉनसन, सोनू जोसेफ, पद्मजा जोशी, अमन चोपड़ा, शेफाली वैद्य, कुशल मेहरा, आनंद रंगनाथन, उपेंद्र गिरी, अरविंद गुप्ता, सुरेश पटेल (पूर्व सीवीसी), कमल ताओरी IAS (आर), बंछानिधि पाणि IAS, गौतम चिकरमाने, अनुराग सक्सेना, हर्ष मधुसुदन गुप्ता आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।
इस कार्यक्रम के साथ-साथ लगातार तीन दिन वीर नर्मद साउथ गुजरात विश्वविध्यालय के परिसर में गुजरात के विभिन्न अंचलों के लोकनृत्य, लोक संगीत व लोक कला का प्रदर्शन प्रत्येक रात्रि को आयोजित हुआ. जिसमें गुजरात की संस्कृति को देखने का लाभ सूरत वासियों ने लिया. भारतीय कलाकृति एवं संस्कृति को उजागर करते विभिन्न कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया।